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फैक्ट्री में निर्मित माल (तैयार माल) कहां रखना चाहिए ?

फैक्ट्री में निर्मित माल (तैयार माल) कहां रखना चाहिए ?

एक छोटी सी दुकान केवल एक ही परिवार का भरण-पोषण कर सकती है। जबकि बड़ी दुकान से कुछ व्यक्तियों के परिवार को चाल सकती है जैसे सुपर मार्केट। लेकिन एक फैक्ट्री बड़ी संख्या में परिवारों का रोजगार बनती है। एक फैक्ट्री का मुख्य उद्देश्य उत्पादन और विक्रय (माल को बेचना) के माध्यम से लाभ प्राप्त करना है। तो फैक्ट्री के मालिक को न केवल स्वयं को बल्कि कई जीवन को भी देखना चाहिए।

आम तौर पर, फैक्ट्री में मशीनरी और स्टॉक के अलावा भारी चीजें, कच्चे और तैयार माल की सामग्री होगी। ये भारी सामान या तो पश्चिम/दक्षिण-पश्चिम/दक्षिण में ही रखना चाहिए। इन्हें स्टॉक, सामग्री, तैयार वस्तुओं, लोहे की चीजों, तैयार माल को वास्तु के सिद्धांत के अनुरुप ही रखना चाहिए।

प्रत्येक फैक्ट्री का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना और नाम कमाना होता है । लेकिन यदि यह लक्ष्य किसी न किसी कारण से प्राप्त नहीं होता है तो व्यक्ति को वास्तु पर संदेह करना चाहिए। फैक्ट्री का वास्तु इनवेसिव उपायों के साथ इसका पूरी तरह से और सही तरीके से विश्लेषण करके साइट पर समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है।

फैक्ट्री वास्तु व्यवसाय नेविगेशन के सफल संचालन को सुनिश्चित करता है, जिससे बड़े उत्पादन और बेहतर लाभ होता है। उद्योग के लिए वास्तु को लागू करना बहुत सहायक हो सकता है और साथ ही यह समृद्धि, सुरक्षा, व्यापार में मजबूती का मार्ग प्रशस्त करता है।

फैक्ट्री या कारखानों के लिए वास्तु दिशानिर्देश निर्धारित करते समय कई और बातों पर विचार किया जाना चाहिए। जैसे साइट का चयन, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की स्थिति, गार्डरूम का स्थान, स्टाफ के लिए क्वार्टर, किचन, फैक्ट्री के उच्च वर्ग के कर्मचारियों के ऑफिस, फैक्ट्री मालिक का रुम, प्रबंध पार्टनर का कमरा और कच्चे माल की व्यवस्था, सुसज्जित सामान, पैकेज्ड सामग्री , तैयार माल और बहुत कुछ।

इस सभी को व्यवस्थित करने में वास्तु का सहारा लेना चाहिए। और सभी संभावित दुर्घटनाओं और किसी भी तरह की समस्याओं से बचना चाहिए। ऐसे में वास्तुविद् के सुझाव के साथ फैक्ट्री में होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है।

आज इस आर्टिकल में बात करने वाले हैं। कि फैक्ट्री में जो माल तैयार हो जाता है अर्थात निर्मित माल उसके लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार कौन सी दिशा उचित होती है। जहां पर रखने से माल की मार्केट में लोकप्रियता बढ़े और लोग ऐसे प्रोडक्टर को विश्वास के साथ खऱीद सके और दोबारा माल की मांग (डिमांड बढ़े) । माल के विक्रय में किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े। ऐसे में मदद करते हैं वास्तु के ये खास टिप्स -

फैक्ट्री में माल दो तारीकों से तैयार किया जाता है। एक तो आर्डर पर और दूसरा डिमांड (मांग) के आधार पर माल का प्रोडक्टशन किया जाता है।

  • तैयार माल को जल्दी से डिस्पैच करने के लिए उत्तर पश्चिम (वायव्य कोण) में रखना चाहिए।
  • वर्कशॉप और माल के रख-रखाव के लिए दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम का एरिया उपयुक्त है।
  • फैक्ट्री में कच्चे माल का ढेर दक्षिण-पश्चिम कोने में डंप (इकात्रित) करना चाहिए।
  • वायव्य कोण तैयार माल (finish goods) के लिए उत्तम होता है। फिर चाहे वह आर्डर पर हो या फिर डिमांग पर।
  • पश्चिम दिशा में भी माल रखा जा सकता है।
  • दक्षिण पश्चिम दिशा में कभी भी माल नही रखना चाहिए। क्योंकि यहां पर रखा तैयार माल बहुत परिश्रम के साथ बिकता है।
  • ईशान कोण में तैयार माल भूलकर नही रखना चाहिए। यहा रखा माल कभी नही बिकता है।
  • वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोण का माल जब ही बिकेगा जब दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) भारी होगा।
  • जहां माल ऑन डिमांग तैयार होता है। वहां तो तैयार माल (finish goods) को उत्तर-पश्चिम में रखकर फैक्ट्री की प्लानिंग करनी चाहिए।

वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)