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फैक्ट्री में सीढ़ियां कहां पर होनी चाहिए ?

फैक्ट्री में सीढ़ियां कहां पर होनी चाहिए।

आज से हजारो वर्ष पूर्व वास्तुशिल्पी एवं वास्तुविदों ने हमें प्राचीन वास्तु विज्ञान (Vastu vigyna) और अन्य रहस्यमय विज्ञान की बारीकियों से अवगत कराया है। जिसके प्रयोग मात्र से आज हम व्यवसाय व व्यापार करने में सफल हो रहे हैं। वास्तु शास्त्र के कुछ मूल पाठ जैसे बृहद् संहिता , अपरजिता प्रिच्छ, समाराँगण सूत्रधार, मय-वास्तु और विश्वकर्मावास्तु हैं।

ऑआज हम उन सभी महान प्राचीन ऋषियों के बहुत आभारी है। जिन्होंने वास्तु की इस अमूल्य धरोहर के ज्ञान को हम तक पहुंचाया है। वास्तु के इस विशाल ज्ञान को हम तक लाने में बृहस्पति, भृगु, शुक्र, वशिष्ठ, मय, विश्वकर्मा, वरहा-मिहिर तथा अन्य ऋषि एवं वास्तु शास्त्रियों की बड़ी भूमिका रही है। उनको हम श्रद्धा से स्मरण करते हुए आपने मूल विषय फैक्ट्री में सीढ़ियां किस दिशा में और कहां पर होने से फैक्ट्री के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

किसी भी फैक्ट्री या वाणिज्य केन्द्र की सफलता की ऊँचाई सीढ़ियों के द्वारा ही तय होती है। क्योंकि सीढियाँ एक ऐसा ग्राफ होती है। जिनका सही और वास्तु संगत निर्माण होने पर आपके व्यापार को दूर-दराज तक पहुंंचाती हैं। परंतु वास्तु के अभाव में यदि फैक्ट्री के अंदर सीढियों का निर्माण हो जाता है। तो ऐसे में वास्तुपुरुष की ऊर्जा प्रभावित होने लगती है और फैक्ट्री में नकारात्मक ऊर्जा का संचय होने लगता है। जिससे फैक्ट्री के उत्पादन में कई बाधाएं और व्यापार घाटे में चला जाता है।

जब आप फैक्ट्री का निर्माण कार्य करवा रहे होते है। तो ऐसे में सीढियों को छोटा सा कार्य समझ कर खुद से ही किसी न किसी कोने पर फैक्ट्री के अंदर सीढियों का निर्माण करवा देते है। ऐसे में आप दिशा और वास्तु नियमों को ताक में रख देते है। जिसके परिणाम स्वरुप लाभ होने की जगह फैक्ट्री में आपको नुकसान होने लगता है। इसलिए फैक्ट्री में सीढ़ियों के निर्माण को लेकर विशेष सावधानियां रखनी चाहिए।

वास्तु के अनुसार फैक्ट्री में सीढ़ियों के निर्माण से संबंधित खास वास्तु सिद्धांत एवं नियम

  • वास्तु के मत के अनुसार कभी भी सीढियों का निर्माण ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में नही करना चाहिए।
  • फैक्ट्री में सीढ़ियों का निर्माण सदैव नैऋत्य (दक्षिण पश्चिम) या दक्षिण में करना चाहिए।
  • फैक्ट्री या फिर अन्य किसी व्यवसायिक संस्थान में चक्राकार व वृत्ताकार नही बनवानी चाहिए।
  • फैक्ट्री में सीढियों का निर्माण इस तरह से करें कि पूर्व से पश्चिम या फिर उत्तर से दक्षिण में चढ़ा जा सके।
  • फैक्ट्री में सीढियों का निर्माण इस तरह से बिल्कुल भी न करें। कि चढ़ाने की दिशा पश्चिम से पूर्व और दक्षिण से उत्तर में हो। वास्तु के मत के अनुसार हर संभव कोशिश करनी चाहिए कि फैक्ट्री की सीढ़ियां घुमाव में दक्षिणावृत्त अर्थात घड़ी की दिशा में हो।
  • फैक्ट्री के मध्य भाग में सीढ़ियो का निर्माण नही करना चाहिए।
  • फैक्ट्री में सीढियों की व्यवस्था इस प्रकार से होने चाहिए। कि टोटल सीढियों में 3 से भाग देने पर शेष 2 बचे। जैसे 5,11,17,23 आदि। सीढियों में पग (स्टेप) की संख्या 10, 20,30 या शून्य से समाप्त न हो।
  • फैक्ट्री की सीढियों के नीचे कभी भी तिजोरी, रुपये-पैसे चैक या ड्राफ्ट आदि चीजों को नही रखना चाहिए।
  • फैक्ट्री में ऐसी सीढ़ियों का निर्माण बिल्कुल भी न करें जिनका फैलाव अधिक हो। इससे अशांति और संकट पैदा होते है।
  • सीढ़ियों में सदैव हल्के रंग या फिर सफेद रंग का प्रयोग करें।
  • फैक्ट्री में सीढियों के सबसे ऊपर वाला पग (स्टेप) पर छत का निर्माण कर सकते हैं।
  • फैक्ट्री में नैऋत्य (दक्षिण पश्चिम) दिशा की तरफ समाप्त होने वाले जीने (सीढियों) में यदि कमरा हैत तो उसे सामान रखने में ही उपयोग करें।

वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)