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ऑफिस का आकार कैसा होना चाहिए?

ऑफिस का आकार कैसा होना चाहिए ?

ऑफिस के प्लाट ( भूखंड) का आकार प्रथम विचार का है। वास्तु आयताकार प्लाट को सबसे उत्तम, स्थिर और पवित्र रूप मानता है। एक वर्गाकार भूखंड भी शुभ होता है और ऐसा ही कोई अन्य भूखंड भी होता है जिसमें भुजाओं की संख्या समान होती है। वर्गाकार भूखंड समृद्धि, शांति और खुशी को दर्शाते हैं। आयताकार भूखंड स्वास्थ्य और समृद्धि सुनिश्चित करते हैं।

एक त्रिकोणीय भूखंड (triangular plot) या तीन कोनों वाला एक भूखंड अनिष्ट शक्तियों से जुड़ा होता है, जो बहुत सारी समस्याएं लाता है। परंतु गोलाकार भूखंड (Circular shape) धन और ज्ञान को बढ़ाने वाले होते हैं। चन्द्राकार प्लांट अच्छे परिणाम नही देने वाले होते है। जिसकी आकृति अष्टकोणात्मक होती है। उस प्रकार के प्लांट में ऑफिस बनाने से धन की कमी बनने लगती है।

एक शेर मुखी (शेर के आकार के जैसा) प्लॉट एक ऐसा प्लॉट है जो पीछे की तरफ की तुलना में सामने (मुख्य द्वार की तरफ) उत्तर-पूर्व की ओर फैला हुआ प्लॉट वाणिज्यिक उपयोग के लिए अच्छा है। गौ मुखी आगे से संकरा और पीछे चौड़ा होता है, जो घर के लिए अच्छा होता है। शेरमुखी भूखण्ड उत्तर-पूर्व (NE) बढ़कर ही अचछा होता है। बाकी शेर मुखी ठीक नही हैं।

कौन-कौन से आकार के प्लाट ऑफिस के लिए अच्छे होते है ?

ऑफिस निर्माण के लिए निम्मलिखित आकार के प्लाट का अच्छा माना गया है।

  • चकोर प्लाट ऑफिस के लिए उत्तम होते है।
  • वर्गाकार प्लाट को केवल ठीक माना गया है। ऐसे प्लाट की चारो ओर से बराबर लंबाई चौडाई के होते हैं।
  • आयताकार प्लाट भी ऑफिस के लिए श्रेष्ठ होते है। यह प्लाट की सम्मुख अर्थात आमने सामने की लंबाई बराबर होती है।
  • गोलाकार प्लाट भी वास्तु की दृष्टि के ऑफिस के लिए उपयुक्त होते है। इसमें भी आप अपने ऑफिस को निर्माण कर सकते हैं।
  • यदि आपके ऑफिस के प्लाट का आकार ईशान कोण में बढ़ा हुआ हो तो ऐसी स्थिति में भी आप निर्माण कर सकते हैं।
  • शेरमुखी आकार के प्लाट ऑफिस के उद्धेश्य के लिए अच्छे होते है। यदि उसमें उत्तर- पूर्व कट न हो।
  • गौमुखी प्लाट व्यायार के लिए वर्जित है। क्योंकि इस आकार के प्लाट व्यापार में उतार-चढ़ाव आता रहता है। व्यापार में स्थिरता देखने को नही मिलती है।
  • वास्तु के अनुसार, जमीन का स्तर उत्तर और पूर्व की तुलना में दक्षिण और पश्चिम में ऊंचा और ईशान कोण में सबसे कम होना चाहिए। यह समृद्धि और खुशी के सभी क्षेत्रों के लिए अच्छा है। यदि उत्तर और पूर्व में स्तर अधिक हैं, तो वे जीवन के सभी क्षेत्रों में दुर्भाग्य का कारण बनते हैं। एक निचला उत्तर पूर्व स्वास्थ्य, धन, शांति और समृद्धि की गारंटी देता है।
  • यदि अग्निकोण कटकर ईशान कोण बढ़े तो भी अच्छे परिणाम मिलते हैं।
  • दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व कटा हुआ भूखंड भी अशुभ माना जाता है। क्योंकि वे खराब स्वास्थ्य और वित्तीय परेशानी लाते हैं।
  • यदि आपके पास उत्तर-पूर्वी कट ऑफ वाला प्लॉट है, तो यह बिना सिर वाले शरीर के समान है।

ऑफिस के प्लाट की ढलान कैसी होनी चाहिए?

  • यह निर्धारित किया गया है कि पूर्व की ओर ढलान वाली भूमि शुभ होती है। उन इमारतों के लिए जहां आगे और पीछे का सेट बैक एरिया समान होना चाहिए। पश्चिम से पूर्व ज्यादा खुला होना चाहिए।
  • उत्तर दिशा की ओर ढलान वाली भूमि भी अच्छी मानी जाती है।
  • पश्चिम की ओर ढलान वाली भूमि को अच्छा नहीं माना जाता है। लेकिन अगर मिट्टी से अच्छी महक आती है, तो उत्तरी/पूर्वी कोने से मिट्टी खोदकर पश्चिम में भर दी जाती है, जिससे भूमि का ढलान उत्तर और पूर्व की ओर हो जाता है।
  • दक्षिण की ओर ढलान वाली भूमि के लिए, जिसे भी अच्छा नहीं माना जाता है। वही अभ्यास पश्चिमी ढलान वाले भूखंड के लिए सुझाया जा सकता है। इससे भूमि का ढलान पूर्व या उत्तर की ओर हो जाएगा और अवांछित ऊर्जाओं को नकारा जा सकता है।
  • सभी कारकों के संचयी प्रभाव को ध्यान में रखते हुए एक भूखंड को स्वीकार या अस्वीकार किया जाना चाहिए। व्यापक सीमांकन, सर्वोपरि हैं, और प्लॉट खरीदते समय इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए।

ऑफिस के प्लाट के ढलान के प्रभाव -

  • यदि प्लाट मेें निम्न स्तर का ढलान है तो कंपनी मालिक का पूर्ण प्रभाव रहता है। विलासिता और प्रसिद्धि में वृद्धि, आयु में वृद्धि होती है। यदि ढलान में पूर्व दिशा में है तो।
  • आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) : यदि यह वायव्य और ईशान से कम हो तो अग्नि, शत्रुओं का खतरा और अशुभ होता है; यदि नैऋत्य से कम हो तो शुभ होता है।
  • दक्षिण ढलान रोग और आर्थिक नुकसान को देती है।
  • नैऋत्य (दक्षिण पश्चिम) ढलान : रोग, व्यापार नाश, पैसों का नाश, दुर्घटना और व्यसन का कारण बनता है।
  • पश्चिम: कर्मचारियों के लिए हानिकारक तथा अच्छे स्टॉफ की कमी बनी रहती है।
  • वायव्य (उत्तर पश्चिम) : नैऋत्य और आज्ञा से कम होने पर शुभ, ईशान से कम होने पर परेशानी, रोग और मुकदमेबाजी का कारण बनता है।
  • उत्तर: हमेशा अच्छाई लाता है, आराम और समृद्धि बढ़ाता है।
  • ईशान (पूर्वोत्तर): सभी विलासिता, आराम, धन और समृद्धि का लाभ ।
  • केंद्र का नीचा होना बहुत अशुभ होता है।
  • कौन सी ढ़ाल शुभ होती है और कौन सी अशुभ होती है -

  • कंपनी या ऑफिस का मुख्य द्वार उत्तर मुखी (मुख्य सड़क) की ओर है । तो ऐसे में ढ़लान पश्चिम से पूर्व की ओर है तो शुभ होता है और पूर्व से पश्चिम की ओर होने पर अशुभ होता है।
  • कंपनी या ऑफिस का मुख्य द्वार पूर्व मुखी (मुख्य सड़क) की ओर है । तो उत्तर से दक्षिण की ओर ढ़लान होने पर होने पर अशुभ फल देता है और दक्षिण से उत्तर की ओर ढ़ाल होने पर शुभ फल मिलते हैं।
  • कंपनी या ऑफिस का मुख्य द्वार दक्षिण मुखी (मुख्य सड़क) की ओर है । तो ऐसे में पश्चिम से पूर्व की ओर ढलान शुभ होती है और पूर्व से पश्चिम की ओर अशुभ होती है।
  • कंपनी या ऑफिस का मुख्य द्वार पश्चिम मुखी (मुख्य सड़क) की ओर है । तो ढलान दक्षिण से उत्तर की ओर शुभ और उत्तर से दक्षिण की ओर की ढलान अशुभ होती है।

  • वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)