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ऑफिस में पैंट्री/कैंटीन एरिया के लिए वास्तु टिप्स

ऑफिस में पैंट्री/कैंटीन एरिया के लिए वास्तु टिप्स

वास्तु अनुसार ऑफिस की कैंटीन/पैंट्री कैसी हो, जिसमें यदि हम भोजन करें तो खाने का स्वाद अच्छा हो और हमारा डाइजेशन (पाचन तंत्र) भी ठीक रहे । स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना न करना पड़े और कर्मचारियों में सामंजस्य भी बना रहे। यह सब तभी संभव होगा, जब ऑफिस में बनी कैंटीन/पैंट्री वास्तु के सिद्धांतों के अनुरुप होगा

ऑफिस की कैंटीन/पैंट्री कैसी होनी चाहिए। यह ऑफिस में काम कर रहे कर्मचारियों के स्वास्थ्य से जुड़ा बहुत बड़ा मुद्दा होता है। क्योंकि दिन के 24 घंटे में से 10 से 12 घंटे काम करके लोग ऑफिस में ही गुजार देते हैं। ऐसे में कैंटीन/पैंट्री और इसके खाने से जुड़ी बातों का ख्याल रखना बहुत ही जरुरी हो जाता है।

कैंटीन/पैंट्री एवं होटलों के संदर्भ में भारत सरकार की भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) कार्यक्रम के तहत कार्यस्थल में बने होटल एवं कैंटीन/पैंट्री स्वस्थ एवं सुरक्षित होना चाहिए। ऑफिस के कर्मचारी स्वस्थ रहें, इसके लिए ऑफिस में ऐसी कैंटीन/पैंट्री व्यवस्था होनी चाहिए, जो कैंटीन/पैंट्री में काम कर रहें कर्मचारियों के हाईजीन का पूरा ख्याल रखें। ताकि पूरा स्टॉफ स्वस्थ रहे और एक साथ काम कर सके।

साफ-सफाई का ध्यान रखने पर ऑफिस वास्तुदोष के दुष्परिणाम से बच जाता है। ऑफिस में बनी कैंटीन/पैंट्री यदि वास्तु शास्त्र के नियमों के आधार पर और सही दिशा में बनी है, तो आप ऑफिस की आर्थिक गतिविधियों के उतार-चढ़ाव से बच जाते है और आपको अपने बिजनेस में अच्छा मुनाफा कामने के अवसर प्राप्त होते हैं। तथा कार्यस्थल पर सामन्यजस्य रहता है।

वास्तुशास्त्र एक प्राचीन वास्तुकला है, जिसका प्रयोग आदिकाल से मंदिर, महलाे, राजभवनों, कुआं, बावड़ी और तालाबों के निर्माण में किया जाता रहा है। और आज भी ऑफिस के सकारात्मक वातावरण के लिए वास्तु शास्त्र बहुत ही जरुरी है।

ऑफिस की कैंटीन/पैंट्री के लिए वास्तु टिप्स

कैंटीन/पैंट्री ऑफिस की एक ऐसी जगह होती है। जहां पर ऑफिस के सभी कर्मचारी (मालिक, मैनेजर एवं गेस्ट) एक साथ बैठकर जलपान, नास्ता, भोजन करते है और खुद को तरोताजा महसूस करते हैं।

  • ऑफिस में बनी कैंटीन/पैंट्री हमेशा अग्निकोण (South East Site) में होनी चाहिए।
  • कैंटीन/पैंट्री वायव्य कोण में भी हो सकती है।
  • कैंटीन/पैंट्री को पूर्व से अग्निकोण के मध्य (ESE) में होना चाहिए।
  • दक्षिण दिशा में भी यह शुभ रहती है।

यदि ऑफिस की कैंटीन/पैंट्री उत्तर-पूर्व (North-East) में बनी है। तो कैसे दुष्परिणाम दे सकती है ?

उत्तर पूर्व में स्थिति कैंटीन/पैंट्री में बने भोजन का सेवन यदि आपके ऑफिस के कर्मचारी करते हैं। तो उनके स्वाभाव में निम्नलिखित परिवर्तन देखने को मिल सकता है।

  • कर्मचारियों में क्रोध एवं गुस्से की अधिकता देखने को मिलती है। अर्थात वह गुस्सैल स्वभाव के होते जाते हैं।
  • ऐसे में आप अपने कर्मचारियों के टैंलेंट का पूरा उपयोग करने से वंचित हो सकते है। क्योंकि यदि वह अडियल या गुस्सैल हो जाते है। तो आपके प्रति उनका व्यवहार ठीक नही रहता है। और आप उनके ज्ञान का पूरा उपयोग नही कर पाते हैं।
  • पैसों का नुकसान व कार्य अनुरुप लाभ की प्राप्ति नही होती है।

यदि ऑफिस की कैंटीन/पैंट्री उत्तर में बनी है, तो कैसे दुष्परिणाम दे सकती है ?

  • आपके ऑफिस में वित्तीय नुकसान होने की संभावना बढ़ सकती है।
  • आप गलत जगह पर इनवेस्ट कर सकते हैं।
  • कर्मचारी में बीमार हो सकते हैं।
  • सैलरी देने के संबंध में दिक्कतें आ सकती हैं।
  • क्लाइंट से पैसे की रिकवरी में परेशानी ऊठानी पड़ सकती है।

पश्चिम-दक्षिण- पश्चिम(West-south-west) में यदि ऑफिस की कैंटीन/पैंट्री बनी हो तो

इस प्रकार बनी कैंटीन/पैंट्री को वास्तु शास्त्र बिल्कुल भी ठीक नही मानता हैं। इन प्रकार की कैंटीन/पैंट्री में बहुत सारी समस्याएं खडी हो सकती है। जैसे :

  • दक्षिण-पश्चिम में कैंटीन होना यानि पैसों को जलाने जैसा होता है।
  • सामान्य से अधिक खर्च में वृद्धि होती है।
  • फिजूल खर्च भी बढ़ जाते है।
  • कैंटीन/पैंट्री में लगे उपकरण जल्दी -जल्दी खराब होते रहते हैं।

ऑफिस की कैंटीन/पैंट्री कैसी होनी चाहिए ?

  • दक्षिण-पूर्व (South-East) की कैंटीन/पैंट्री में स्टोव हमेशा पूर्व की दीवार में होना चाहिए।
  • अतिआवश्यक होने पर चूल्हा (इंडेक्शन) उत्तर या पश्चिम दिशा में लगा सकते हैं।
  • उत्तर-पश्चिम (North-West) की कैंटीन/पैंट्री में चूल्हा पश्चिम दीवार में और अतिआवश्यक होने पर पूर्व की दीवार में लगा सकते हैं।
  • सिंक उत्तर, पूर्व और पश्चिम (North,East,West) की दीवार में लगा सकते हैं। परंतु दक्षिण पूर्व या दक्षिण-पश्चिम की तरफ नही होनी चाहिए।
  • सिंक और चूल्हा एक ही कऊांटर में नही होना चाहिए। अगर साथ हो तो बीच में पर्टिशन लगवाये।
  • कैंटीन/पैंट्री और टॉयलेट की दीवार एक साथ और पास-पास नही होना चाहिए।
  • कैंटीन/पैंट्री के नीचे और ऊपर W/C की लाइन नही होनी चाहिए।
  • कैंटीन/पैंट्री के उत्तर-पश्चिम (North-West) में काला और नीला पेंट नही करना चाहिए।
  • अग्निकोण में बनी कैंटीन/पैंट्री को हमेशा लाल रंग से पेंट करना चाहिए।

ऑफिस की कैंटीन/पैंट्री में खाने बनाने वाले शैफ से लेकर भोजन करने वाले तक की दिशा वास्तु के नियमों के अनुसार ही तय की जानी चाहिए, क्योंकि यही आपके ऑफिस के कर्मचारी गलत दिशा में बैठकर जलपान (भोजन) करते है, तो उनके स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ता है । जिससे ऑफिस का कार्य प्रभावित हो सकता है।

  • कैंटीन/पैंट्री में कर्मचरियों के भोजन करने की जगह इस प्रकार होनी चाहिए, कि कर्मचारियों का मुंह भोजन करते समय पूर्व और उत्तर की दिशा में हो । ताकि भोजन की पूर्ण ऊर्जा का संचार उनके शरीर में हो सके। पूर्व दिशा में मुंह करके भोजन करने से हमारी इम्युनिटी अच्छी होती है और बीमारियों से बचा जा सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व कि दिशा को देवताओं की दिशा मानी गयी है। इस लिहाज से भी पूर्व की ओर भोजन करना चाहिए।
  • यदि ऑफिस के कर्मचारी दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन करते है। तो ऐसे में कर्मचारियों को पेट से संबंधित समस्याएं (जैसे - पाचन शाक्ति का कमजोर होना, गैस बनना, पेट फूलना, कब्ज की शिकायत होना) इत्यादि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • दक्षिण दिशा की ओर भोजन करने से ऑफिस मालिक एवं कर्मचारियों के मान-सम्मान में कमी होने जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
  • कैंटीन/पैंट्री में कभी भी टूटे बर्तनों को प्रयोग में नही लेना चाहिए। इससे दुर्भाग्य बढ़ सकता है, जो कार्यस्थल एवं प्रतिष्ठान के लिए अच्छा संकेेत नही हैं।
  • कैंटीन/पैंट्री में भोजन करते समय कुर्सी में बैठकर पैरों को हिलाना नही चाहिए।
  • ऑफिस में बनी कैंटीन/पैंट्री की टेबल को कभी भी खाली नही रखना चाहिए। इस टेबल पर कुछ न कुछ खाने की वस्तुएं रखनी चाहिए । यदि ऐसा करना संभव नही है, तो बहुत ही कम मात्रा में जल्दी न खराब होने वाली खाद्य सामग्री जैसे नमकीन, ड्राईफ्रुट्स इत्यादि रख सकते हैं।

वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)