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ऑफिस में वॉशरूम्स के लिए वास्तु टिप्स

ऑफिस में वॉशरूम्स के लिए वास्तु टिप्स

ऑफिस के वॉशरुम हमेशा वास्तु के अनुसार ही करना चाहिए। क्योंकि वॉशरुम एक ऐसी जगह होती है। जहां पर सबसे ज्यादा नराकात्मक ऊर्जा का वास होता है। ऐसे में यदि आपने शौचालय की दिशा वास्तु के अनुरुप ही निर्धारित की है। तो आप इस नकारात्मक ऊर्जा का शिकार होने से बच सकते है और साथ में अपने कर्मचारियों को भी इसके प्रभाव से बचा सकते हैं। आज वॉशरुम एवं शौचालय का निर्माण बढ़चढ़ कर हो रहा है। क्योंकि भारत सरकार भी इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। परंतु शौचालय की दिशा का निर्धारण बहुत ही जरुरी है। ताकि हम वास्तु दोष से बच सके।

ऑफिस का वॉशरुम कहां पर और किस दिशा में होना चाहिए ?

वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करने से किसी को भी नुकसान नही उठाना पड़ता है। बल्कि लाभ प्राप्ति एवं भाग्य वृद्धि में मदद मिलती है। पहले ऐसा माना जाता था । कि शौचालय (वॉशरुम) को घर के बाहर होना चाहिए। परंतु आज के युग में ऐसा करना संभव नही है। क्योंकि राजाओं के समय महलों में वास्तु के नियमों का पूरी तरह से पालन होता था और महल के अंदर ही वॉशरुम जैसी सारी सुविधाए प्राचीन कल में भी मौजूद थी। वास्तु के मत के अनुसार ऑफिस की वॉशरुम पश्चिम या दक्षिण दिशा में होनी चाहिए । क्योंकि वॉशरुम के लिए यह दिशा उत्तम मानी गई है। दक्षिण-पश्चिम दिशा में माना जाता है। यदि कोई भी व्यक्ति इस में यदि खराब वस्तुएं (बेकार की चीजे) विसर्जित (फेंकता) है। तो ऐसा करने से उसे लाभ और शुभ फल प्राप्त होते हैं।

  • आज के समय में ऑफिस में घर जैसी सुविधाएं आपने कर्मचारियों को देने का प्रयास करते हैं। ताकि ज्यादा से ज्यादा समय काम और ऑफिस पर दिया जाए।
  • बाथरुम के अंदर यदि आप गीजर लगवाने का विचार कर रहें हैं । टॉयलेट के अग्निकोण या वायव्य कोण में लगवाना चाहिए।
  • बाथरुम को इशान कोण में नही बनवाना चाहिए। यह कर्मचारियों एवं कंपनी के लिए कष्टकारी हो सकता है।

ऑफिस का वॉशरुम गलत दिशा में होने से कौन-कौन से दिक्कतें खड़ी कर सकता है ?

यदि वॉशरुम निर्माण में आपने वास्तु के नियमों की अनदेखी की है। तो आपको निम्मलिखित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

  • ऑफिस के कर्मचारियों के बीच मन-मुटाव एवं कलह जैसी स्थिति बन सकती है।
  • ऑफिस की गलत दिशा में बना वॉशरुम आर्थिक समस्या, व्यापार बाधा, पैसों का डुबना, गलत निर्णय इत्यादि परेशानियां आ सकती हैं।।
  • आपको बिजनेस में हानि का सामना करना पड़ सकता है।
  • नौकरी या फिर पेशे से संबंधिक दिक्कतें आने लगती है।
  • ऑफिस के कर्मचारी किसी बीमारी एवं बाधा के चक्कर में आ सकते हैं।।
  • मालिक या कंपनी के मुख्य कर्मचारी में आत्मविश्वास की कमी आ सकती है।

ऑफिस के टॉयलेट (Vastu for Office Toilet) में कौन-कौन की सावधानियां वास्तु की दृष्टि से रखना चाहिए ?

  • ऑफिस में टॉयलेट निर्माण करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कि टॉयलेट में लगे (इलैक्ट्रिक और नॉन इलैक्ट्रिक उपकरण) नकारात्मक ऊर्जा पैदा न करें। क्योंकि यदि ऐसा होता है। तो ऑफिस के कर्मचारी एवं मालिक बीमार पड़ सकते हैं।
  • ऑफिस में टॉयलेट बनाते वक्त इस ओर भी ध्यान दें। कि ऑफिस में बनी टॉयलेट आपकी सकारात्मक ऊर्जा को नष्ट तो नही कर रही है। परंतु यदि ऐसा होता है। कि यह आपको आर्थिक मुसीबते दे सकती है। ऐसी स्थिति में बरकत कम होगी और सफलता प्राप्ति में बाधाएं आएंगी। शौचालय को हमेशा नकारात्मक ऊर्जा वाली जगह का चुनाव करें।
  • ऑफिस की टॉयलेट कभी भी ऑफिस के मुख्य द्वार के सामने या पास में नही बनाना चाहिए। ऐसा करने से ऑफिस के पूरे वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है।
  • ऑफिस के बाथरुम का फर्श अधिक चिकना नही होना चाहिए। ऐसा करने से ऑफिस में शारीरिक हानि होने की अधिक संभावना हो सकती है।
  • बाथरुम में यदि किसी नल में लीकेज (पानी टपकता ) है। तो उसे जल्दी से जल्दी ठीक करवा लेना चाहिए।
  • ऑफिस के बाथरुम में खिड़की होनी चाहिए। जो पूर्व तथा उत्तर दिशा में खुले । तो अच्छा रहता है।
  • ऑफिस के बाथरुम का दरवाजा सदैव बंद करके ही रखना चाहिए। ताकि बाथरुम की नकारात्मक ऊर्जा ऑफिस के माहौल में प्रवेश न कर सके। या फिर डोर क्लोजर (door close) का इस्तेमाल करें ताकि दरबाजा बंद ही रहे। यदि कोई दरबाजा खुला रहता है। तो कार्यालय परिसर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। और कर्मचारियों का व्यक्तिगत जीवन और कैरियर प्रभावित हो सकता है।
  • ऑफिस के बाथरुम के गेट के बाहर किसी भी प्रकार का सजावट का सामान न लगाएं और न ही किसी देवता की मूर्ती को लगाना चाहिए। या मांगलिक चिन्ह, देवताओं की पेन्टिंग, पितरों के चित्र इत्यादि बाथरुम की दीवार पर नही लगाना चाहिए।
  • यदि टॉयलेट ईशान में है तो सब प्रकार की बाधा, आर्थिक नुकसान होता है।
  • ऑफिस की बाथरुम पूर्व में होने पर दूरगामी निर्णय गलत होते है और कंपनी की प्रतिष्ठा धूमिल होती है।
  • ऑफिस की बाथरुम अग्नि कोण में होने पर कोर्ट केश, मुकदमा, कर्मचारियों में आपसी कलह होती है।
  • ऑफिस के नैर्ऋत्य कोण में टॉयलेट होने पर अत्यधिक खर्चा होना, चोरी होना, बरकत की कमी इत्यादि परेशानियां बनी रहती हैं।
  • ऑफिस के उत्तर में टॉयलेट होने पर आर्थिक नुकसान , पैसों का डूबना , गलत जगह पर निवेश, आर्थिक तंगी बनी रहती है।

ऑफिस के टॉयलेट की सीट की दिशा कैसी होनी चाहिए (Vastu for Office seat direction in Hindi ) -

वास्तु अनुसार ऑफिस के टॉयलेट की सीट की दिशा भी बहुत ही अहम है। ऑफिस के टॉयलेट की सीट की दिशा उत्तर (North) या फिर दक्षिण (South) होना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा को भगवान सूर्य देव की दिशा मानी जाती है। यदि आप या फिर आपके ऑफिस के कर्मचारी पूर्व दिशा में मुंह करके वॉशरुम का उपयोग करते है। सूर्य देव का अपमान माना जाता है और ऐसे में आपको कानून से संबंधित कंपनी में दिक्कतें आने लगती है। उगते तथा अस्त होते सूर्य को मुंह या पीठ देकर बाथरुम का प्रयोग नही करना चाहिए।

ऑफिस के वॉशरुप की दीवारों का कलर कैसा होना चाहिए ?

  • वास्तु के अनुसार वॉशरुम की दीवारों का रंग सफेद, हल्का नीला, हल्की पीला या फिर आसमानी कलर का भी हो सकता है।
  • यदि ऑफिस के वॉशरुम में आपने एग्जॉस्ट फैन लगा रखा है। तो उसकी दिशा उत्तर या पूर्व में ठीक रहता है। ताकि वही से धूप एवं ताजी हवा का भी संचार होता रहे।
  • ऑफिस वॉशरुम में रोशनी की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • जब आप ऑफिस वॉशरुम का निर्माण करवा रहें हो। तो उस समय आपको ध्यान देना चाहिए । कि जो टाइल्स आप वॉशरुम में लगवा रहें है। उनका कलर काला या फिर गहरा नीला नही होना चाहिए।

ऑफिस के वॉशरुप से संबंधित वास्तु के दिशा निर्देश -

  • वास्तु शास्त्र में सीढ़ियों के नीचे वॉशरुम बनाने की मनाही है। क्योंकि यह स्थान वास्तु की दृष्टि से अच्छा नही माना जाता है।
  • ऑफिस में बनी वॉशरुम का दरवाजा हमेशा लकड़ी से निर्मित होना चाहिए। क्योंकि लोहे की धातु से बना दरवाजा नराकात्मक ऊर्जा पैदा करता है। जो स्टॉफ के स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नही माना जाता है।
  • वॉशरुम का W/C ऑफिस के पश्चिम दिशा में होना चाहिए।

ऑफिस की वॉशरुम से संबंधित अन्य किसी विशेष जानकारी के लिए आप वास्तु शास्त्री रविन्द्र दधीच जी से संपर्क करें।

वास्तु विद् - रविद्र दाधीच (को-फाउंडर वास्तुआर्ट)